मुझे अच्छे से याद हैं जब हम बच्चे थे और स्कूल जाया करते थे तो रोज सुबह सवेरे काम से काम ४० से ५० मिनट प्रार्थना हुआ करती थी। उस समय कई बार लगता इतनी लम्बी प्रार्थना करने की क्या आवश्यकता हैं। पर हमारी प्रार्थना सिर्फ ईश्वर की प्रार्थना नहीं होती थी बल्कि देशभक्ति गीत ,भजन ,गीता।,मंत्र ,प्रेरक गीत आदि सभी प्रार्थना के रोज के कार्यक्रम में सम्म्मिलित था। आज जब भी मन उदास होता हैं तो अपने आप ही होठ गाने लगते हैं “खुद जिए सबको जीना सिखाये अपनी खुशियाँ चलो बाट आये ” मन की उदासी पल बाहर में छट जाती हैं। जब कभी लगता हैं बहुत हो गया जिंदगी इतनी कठिन क्यों हैं अब न हो पायेगा , अपने आप ही मन मस्तिष्क में गीत गूंजने लगता हैं “चाहे कितने तूफान आये चाहे छाये बादल हम सूरज की रोशनी से करते मुश्किलों को घायल “. कभी कभी लगता हैं इस भौतिक जगत में उलझे प्राणी हैं हम। न भक्त हैं ,न कोई योगी साधु हमें कभी ईश्वर मिल भी सकेगा। कंठ से अपने आप ही फुट पड़ता हैं
” निर्मानमोहा जितसङ्गदोषाअध्यात्मनित्या विनिवृत्तकामाः ।
द्वन्द्वैर्विमुक्ताः सुखदुःखसञ्ज्ञैर्गच्छन्त्यमूढाः पदमव्ययं तत् ॥ “
कभी-कभी जब देवी साधना में मन लगता हैं तो वह गाता हैं “भवानी दयानी महावाक्वाणी”
देश प्रेम की बात करे तो उसका बीज तो इन गीतों ने ही सबसे पहले मन में बोया था “राष्ट्र के लिए जिए राष्ट्र के लिए मरे ” . भारतोय संस्कृति कला संगीत को सहेजने बढ़ाने की जो इच्छा जिद्द जन्मी उसका कारण भारतीय संगीत का दैवीय स्वरुप उसमे मिलने वाली शांति और उस शान्तो और दिव्यता से सभीको परिचित करवाने के लिए जन्मा जीवन लक्ष्य।
अब दिवाली आ रही हैं और मन गा रहा हैं ” दिवाली आयी दिवाली आयी खुशिओं की बारात लायी “
मन नामक अति विचित्र पदार्थ को संम्भालने ,सही रास्ते पर लाने और प्रसन्न रखने की शक्ति अगर किसी में हैं तो वह संगीत हैं। मस्तिष्क की औषधि और मन का साथी संगीत , सोचिये अगर संगीत हमें बचपन में न मिला होता ! अगर हमने वो सारे गीत न गाये होते !
स्कूल परीक्षा नंबर इतने से आपके बच्चो जो एक अच्छी नौकरी तो मिल जाएगी पर क्या अपनी अपने बच्चो को केवल नौकर बनाने के लिए जन्म दिया हैं ? क्या उनको सिर्फ पैसे कमाने के लिए और अर्थहीन जीवन जीते हुए फिर किसी दिन बीमारी का घर बनने के लिए जन्म दिया हैं ? नहीं न ! बिलकुल ही नहीं ! आप तो उनको पुरे जीवन सुखी देखना चाहते हैं , प्रसन्न देखना चाहते हैं ,आंनदी देखना चाहते हैं। उन्हें संगीत सिखाये उन्हें कलाओं का ज्ञान दे। सोचे आपको उन्हें क्या देना हैं सुख शांति आनंद या नौकरी ,केवल पैसा और ढेर सारा तनाव !